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बाल श्रम

रोली शिवहरे, प्रशांत दुबे

प्रकाशक : विकास संवाद प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :18
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8904
आईएसबीएन :000000000000

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बालश्रम समाज का एक बड़ा मुद्दा है...

Ek Break Ke Baad

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बालश्रम समाज का एक बड़ा मुद्दा है। हम सभी अपने आसपास होटलों में, कारखानों में, दुकानों में बच्चों का बचपन छिनते देखते हैं। यह उतना ही दुखद है कि हमारा समाज बच्चों को महफूज बचपन उपलब्ध करवा पाले अक्षम साबित हुआ है। यह सीधे सीधे बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता नजर आता है। आखिर ऐसी क्या मजबूरियाँ हैं कि पढ़ने-लिखने और खेलने-कूदने की उम्र में बच्चे हाड़तोड़ मेहनत करने को मजबूर हैं।

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